Home विदेशएशिया ‘कटोरा’ लेकर चीन घूम रहे है शहबाज शरीफ, पिघलेंगे जिनपिंग या देंगे झटका?

‘कटोरा’ लेकर चीन घूम रहे है शहबाज शरीफ, पिघलेंगे जिनपिंग या देंगे झटका?

by zadmin

 अशोक भाटिया,

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बीजिंग की अपनी पहली यात्रा में चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने अपनी सदाबहार दोस्ती को और मजबूत करने और 60 अरब डॉलर की लागत वाले चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानी सीपीईसी को लेकर सहमति जताने कि बात कही जा रही हैं। पाकिस्तान में चल रहे इमरान खान के आंदोलन के बीच शहबाज शरीफ दो दिन की चीन यात्रा पर मंगलवार रात को बीजिंग पहुंचे। यह अप्रैल में उनके प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से उनकी पहली चीन यात्रा है। हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद शी जिनफिंग के साथ उनकी यह दूसरी मुलाकात है। उन्होंने पिछले महीने उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन, एससीओ की बैठक से इतर शी से मुलाकात की थी।पाकिस्तान के खराब आर्थिक और राजनीतिक हालात  के बीच चीन उसे भरोसा दे रहा है। एक रिपोर्ट की मानें तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शरीफ से वादा किया है कि वह सीपीईसी प्रोजेक्ट को गति देंगे। लंबे समय से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा था। अब जिनपिंग ने कहा है कि ग्वादर पोर्ट के विकास, परिवहन और आर्थिक गतिविधियों में पाकिस्तान की मदद करेंगे। हालांकि पाकिस्तान को इस बात का अंदाजा नहीं है कि कहीं चीन उसकी भी दशा श्रीलंका जैसी न कर दे।

बता दें कि श्रीलंका के दीवालिया होने के पीछे चीन का बड़ा हाथ था। श्रीलंका में चीन के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे थे जिनके पूरे होने के बाद भी उनपर चीन का ही कब्जा रहता था। वहीं श्रीलंका के विदेशी  कर्ज में से लगभग 51 फीसदी हिस्सा चीन से ही था। श्रीलंका के बुरे समय में चीन ने अपना पल्ला झाड़ लिया। अब पाकिस्तान के पास भी चीन के अलावा कोई और सहारा नहीं है। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कई वर्षों से अंधकार में है। कोरोना ने हालत और खराब कर दी। इसके बाद भीषण बाढ़ से अर्थव्यवस्था और ज्यादा तबाह हो ।यह चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव का हिस्सा है। कराची को जोड़ने वाली रेलवे लाइन का भी कम तेज किए जाने को लेकर शी ने वादा किया है। यह प्रोजेक्ट काफी पुराना है लेकिन अधूरा पड़ा है।

दूसरी तरफ बात करें पाकिस्तान के सियासी हालात की तो यहां ऐसा लगता है कि भविष्य में गृह युद्ध छिड़ जाएगा। इमरान खान ने अपनी दूसरी रैली की घोषणा कर दी है और उनका कहना है कि जब तक चुनाव का ऐलान नहीं हो जाता लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा। इमरान खान ने यहां तक धमकी दे दी है कि अगर सेना ने रोकने की कोशिश की तो उनके समर्थक उनका लोहा लेने को भी तैयार है। वहीं बलूचिस्तान में लंबे समय से सीपीईसीका विरोध होता रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि स्थानीय संसाधनों का फायदा चीन उठाना चाहता है। बलोच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हुए कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है।इस समय  पाकिस्तान के पास भी चीन के अलावा कोई और सहारा नहीं है। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कई वर्षों से अंधकार में है। कोरोना ने हालत और खराब कर दी। इसके बाद भीषण बाढ़ से अर्थव्यवस्था  और ज्यादा तबाह हो गई।

जिस प्रोजेक्ट को गति देने की बात चीन और पाकिस्तान कर रहे हैं, भारत उसपर आपत्ति जताता रहा है। चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पीओके से होकर गुजरता है। भारत ने कड़े लहजे में बताया है कि यह हमारी संप्रभुता को चोट पहुंचाने की तरह है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एससीओ की एक बैठक में चीन को जमकर सुनाया और पाकिस्तान के साथ साठगांठ की पोल खोलकर रख दी। चीन के पश्चिमी शिंजियांग क्षेत्र से पाकिस्तान के लिए रेल, रोड और गैस पाइपलाइन का यह प्रोजेक्ट कई सालों से ढीला हो गया। अब चीन ने इसी को गति देने का वादा किया है ऐसा बताया जा रहा है   

यह चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव का हिस्सा है। इसके बीच चीन का बड़ा स्वार्थ छिपा  है। वह इसी रास्ते से मध्य एशिया में अपना व्यापार आसान करना चाहता है। शी ने कहा, ग्वादर पोर्ट का इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने की जरूरत है। वहीं कराची को जोड़ने वाली रेलवे लाइन का भी कम तेज किए जाने को लेकर शी ने  वादा किया है। यह प्रोजेक्ट काफी पुराना है लेकिन अधूरा पड़ा है। आर्थिक नुकसान की वजह से इसे 1999 में बंद कर दिया गया था। 20 साल बाद 2020 में आंशिक रूप से इसे शुरू किया गया है।पाकिस्तान के सियासी हालात की तो यहां ऐसा लगता है कि भविष्य में गृह युद्ध छिड़ जाएगा। इमरान खान ने अपनी दूसरी रैली की घोषणा कर दी है और उनका कहना है कि जब तक चुनाव का ऐलान नहीं हो जाता लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा।

सूत्रों का कहना है कि इमरान खान पाकिस्‍तान में जल्‍द से जल्‍द चुनाव कराना चाहते हैं लेकिन पाकिस्‍तान की शहबाज सरकार और सेना प्रमुख जनरल बाजवा इससे सहमत नजर नहीं आ रहे हैं। पाकिस्‍तान में साल 2017 से ही राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। इससे चीन अब दुविधा में फंस गया है जो पाकिस्‍तान में 62 अरब डॉलर से ज्‍यादा सीपीईसी परियोजना में निवेश कर रहा है। उसे अब यह डर सता रहा है कि अगर पाकिस्‍तान में कोई ऐसी सरकार ही नहीं होगी जो उसके साथ किए वादों को पूरा कर सके तो अरबों डॉलर का निवेश फंस जाएगा। पाकिस्‍तान में सत्‍ता में आने के बाद शहबाज ने सीपीईसी परियोजना को फिर से तेजी से आगे बढ़ाने को प्राथमिकता में रखा है। यही नहीं सीपीईसी और चीन के नागरिकों को निशाना बनाने वाले बलूच विद्रोहियों के खिलाफ शहबाज कड़े प्रहार करना चाहते हैं। उन्‍हें उम्‍मीद है कि वह इससे चीन को खुश कर देंगे और अरबों डॉलर की मदद बिजली परियोजना के लिए हासिल कर सकेंगे। पाकिस्‍तानी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका भारत के साथ अपना रक्षा संबंध बढ़ाने जा रहा है जो चीन और पाकिस्‍तान दोनों का ही दुश्‍मन है। ऐसे में एक स्थिर और मजबूत पाकिस्‍तान खुद चीन के हित में है।


वहीं ,यह बात भी गौरतलब है कि चीन अपने 13 नागरिकों की हत्‍या से बुरी तरह से पाकिस्‍तान पर भड़का हुआ है। ऐसे में सुरक्षा का मुद्दा चीनी और पाकिस्‍तानी नेतृत्‍व में प्रमुखता से उठना तय है। चीन अब तालिबान पर भी दबाव डाल रहा है कि वह टीटीपी के 5000 आतंकियों पर लगाम लगाए जो पाकिस्‍तानी सेना पर अक्‍सर हमले करते रहते हैं। अमेरिकी विशेषज्ञ एंड्रीव स्‍माल कहते हैं, ‘चीन की सरकार शहबाज शरीफ को निजी रूप से पसंद करती है। चीन शहबाज का पक्ष भी लेना चाहेगा लेकिन वे इस बात को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं हैं कि यदि  मध्‍यावधि चुनाव हुए तो  पाकिस्‍तान में कौन आगे रहेगा ।(युवराज )

अशोक भाटिया,

‘कटोरा’ लेकर चीन घूम रहे है  शहबाज शरीफ

 पिघलेंगे जिनपिंग या देंगे झटका?

 अशोक भाटिया,

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बीजिंग की अपनी पहली यात्रा में चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने अपनी सदाबहार दोस्ती को और मजबूत करने और 60 अरब डॉलर की लागत वाले चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानी सीपीईसी को लेकर सहमति जताने कि बात कही जा रही हैं। पाकिस्तान में चल रहे इमरान खान के आंदोलन के बीच शहबाज शरीफ दो दिन की चीन यात्रा पर मंगलवार रात को बीजिंग पहुंचे। यह अप्रैल में उनके प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से उनकी पहली चीन यात्रा है। हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद शी जिनफिंग के साथ उनकी यह दूसरी मुलाकात है। उन्होंने पिछले महीने उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन, एससीओ की बैठक से इतर शी से मुलाकात की थी।पाकिस्तान के खराब आर्थिक और राजनीतिक हालात  के बीच चीन उसे भरोसा दे रहा है। एक रिपोर्ट की मानें तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शरीफ से वादा किया है कि वह सीपीईसी प्रोजेक्ट को गति देंगे। लंबे समय से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा था। अब जिनपिंग ने कहा है कि ग्वादर पोर्ट के विकास, परिवहन और आर्थिक गतिविधियों में पाकिस्तान की मदद करेंगे। हालांकि पाकिस्तान को इस बात का अंदाजा नहीं है कि कहीं चीन उसकी भी दशा श्रीलंका जैसी न कर दे।

बता दें कि श्रीलंका के दीवालिया होने के पीछे चीन का बड़ा हाथ था। श्रीलंका में चीन के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे थे जिनके पूरे होने के बाद भी उनपर चीन का ही कब्जा रहता था। वहीं श्रीलंका के विदेशी  कर्ज में से लगभग 51 फीसदी हिस्सा चीन से ही था। श्रीलंका के बुरे समय में चीन ने अपना पल्ला झाड़ लिया। अब पाकिस्तान के पास भी चीन के अलावा कोई और सहारा नहीं है। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कई वर्षों से अंधकार में है। कोरोना ने हालत और खराब कर दी। इसके बाद भीषण बाढ़ से अर्थव्यवस्था और ज्यादा तबाह हो ।यह चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव का हिस्सा है। कराची को जोड़ने वाली रेलवे लाइन का भी कम तेज किए जाने को लेकर शी ने वादा किया है। यह प्रोजेक्ट काफी पुराना है लेकिन अधूरा पड़ा है।

दूसरी तरफ बात करें पाकिस्तान के सियासी हालात की तो यहां ऐसा लगता है कि भविष्य में गृह युद्ध छिड़ जाएगा। इमरान खान ने अपनी दूसरी रैली की घोषणा कर दी है और उनका कहना है कि जब तक चुनाव का ऐलान नहीं हो जाता लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा। इमरान खान ने यहां तक धमकी दे दी है कि अगर सेना ने रोकने की कोशिश की तो उनके समर्थक उनका लोहा लेने को भी तैयार है। वहीं बलूचिस्तान में लंबे समय से सीपीईसीका विरोध होता रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि स्थानीय संसाधनों का फायदा चीन उठाना चाहता है। बलोच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हुए कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है।इस समय  पाकिस्तान के पास भी चीन के अलावा कोई और सहारा नहीं है। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कई वर्षों से अंधकार में है। कोरोना ने हालत और खराब कर दी। इसके बाद भीषण बाढ़ से अर्थव्यवस्था  और ज्यादा तबाह हो गई।

जिस प्रोजेक्ट को गति देने की बात चीन और पाकिस्तान कर रहे हैं, भारत उसपर आपत्ति जताता रहा है। चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पीओके से होकर गुजरता है। भारत ने कड़े लहजे में बताया है कि यह हमारी संप्रभुता को चोट पहुंचाने की तरह है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एससीओ की एक बैठक में चीन को जमकर सुनाया और पाकिस्तान के साथ साठगांठ की पोल खोलकर रख दी। चीन के पश्चिमी शिंजियांग क्षेत्र से पाकिस्तान के लिए रेल, रोड और गैस पाइपलाइन का यह प्रोजेक्ट कई सालों से ढीला हो गया। अब चीन ने इसी को गति देने का वादा किया है ऐसा बताया जा रहा है   

यह चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव का हिस्सा है। इसके बीच चीन का बड़ा स्वार्थ छिपा  है। वह इसी रास्ते से मध्य एशिया में अपना व्यापार आसान करना चाहता है। शी ने कहा, ग्वादर पोर्ट का इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने की जरूरत है। वहीं कराची को जोड़ने वाली रेलवे लाइन का भी कम तेज किए जाने को लेकर शी ने  वादा किया है। यह प्रोजेक्ट काफी पुराना है लेकिन अधूरा पड़ा है। आर्थिक नुकसान की वजह से इसे 1999 में बंद कर दिया गया था। 20 साल बाद 2020 में आंशिक रूप से इसे शुरू किया गया है।पाकिस्तान के सियासी हालात की तो यहां ऐसा लगता है कि भविष्य में गृह युद्ध छिड़ जाएगा। इमरान खान ने अपनी दूसरी रैली की घोषणा कर दी है और उनका कहना है कि जब तक चुनाव का ऐलान नहीं हो जाता लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा।

सूत्रों का कहना है कि इमरान खान पाकिस्‍तान में जल्‍द से जल्‍द चुनाव कराना चाहते हैं लेकिन पाकिस्‍तान की शहबाज सरकार और सेना प्रमुख जनरल बाजवा इससे सहमत नजर नहीं आ रहे हैं। पाकिस्‍तान में साल 2017 से ही राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। इससे चीन अब दुविधा में फंस गया है जो पाकिस्‍तान में 62 अरब डॉलर से ज्‍यादा सीपीईसी परियोजना में निवेश कर रहा है। उसे अब यह डर सता रहा है कि अगर पाकिस्‍तान में कोई ऐसी सरकार ही नहीं होगी जो उसके साथ किए वादों को पूरा कर सके तो अरबों डॉलर का निवेश फंस जाएगा। पाकिस्‍तान में सत्‍ता में आने के बाद शहबाज ने सीपीईसी परियोजना को फिर से तेजी से आगे बढ़ाने को प्राथमिकता में रखा है। यही नहीं सीपीईसी और चीन के नागरिकों को निशाना बनाने वाले बलूच विद्रोहियों के खिलाफ शहबाज कड़े प्रहार करना चाहते हैं। उन्‍हें उम्‍मीद है कि वह इससे चीन को खुश कर देंगे और अरबों डॉलर की मदद बिजली परियोजना के लिए हासिल कर सकेंगे। पाकिस्‍तानी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका भारत के साथ अपना रक्षा संबंध बढ़ाने जा रहा है जो चीन और पाकिस्‍तान दोनों का ही दुश्‍मन है। ऐसे में एक स्थिर और मजबूत पाकिस्‍तान खुद चीन के हित में है।


वहीं ,यह बात भी गौरतलब है कि चीन अपने 13 नागरिकों की हत्‍या से बुरी तरह से पाकिस्‍तान पर भड़का हुआ है। ऐसे में सुरक्षा का मुद्दा चीनी और पाकिस्‍तानी नेतृत्‍व में प्रमुखता से उठना तय है। चीन अब तालिबान पर भी दबाव डाल रहा है कि वह टीटीपी के 5000 आतंकियों पर लगाम लगाए जो पाकिस्‍तानी सेना पर अक्‍सर हमले करते रहते हैं। अमेरिकी विशेषज्ञ एंड्रीव स्‍माल कहते हैं, ‘चीन की सरकार शहबाज शरीफ को निजी रूप से पसंद करती है। चीन शहबाज का पक्ष भी लेना चाहेगा लेकिन वे इस बात को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं हैं कि यदि  मध्‍यावधि चुनाव हुए तो  पाकिस्‍तान में कौन आगे रहेगा ।(युवराज )

अशोक भाटिया,

You may also like

Leave a Comment