राहुल गांधी को सावरकर का इतिहास नहीं पता – फडणवीस
विशेष संवाददाता
मुंबई,(निर्भय पथिक ) :राहुल गांधी , वीर सावरकर कभी नहीं हो सकते। कांग्रेस के किसी नेता में सावरकर होने की औकात नहीं है। सावरकर होने के लिए त्याग लगता है। तप लगता है। यातना भोगनी पड़ती है। सावरकर ने देश की स्वतंत्रता के लिए महान त्याग किया। उन्होंने अपनी जिंदगी के कुल 28 साल जेल में बिताये। वह रत्नागिरी जेल में रहे। वह अंडमान में काले पानी की सजा भुगते। वहां कोल्हू का बैल बनकर उन्हें तेल पेरना पड़ता था और यदि तेल कम निकलता था तो कोड़े से पिटाई की जाती थी। वहां सजा भोगी। उन्हें एक शौचालय से भी छोटी जगह में रहना पड़ता है और तब भी भारत माता की जय बोलने की हिम्मत दिखाते थे। सावरकर को खाने के लिए नहीं दिया जाता था। दिया भी जाता था जो रोटी मिलती थी वह बहुत घटिया होती थी उसको खाने के बाद शौच लगे तो बाहर जाने नहीं मिलता था उन्हें सड़ांध गंदगी में रहना पड़ता था। लेकिन तमाम यातनाओं के बावजूद अंग्रेज सरकार सावरकर को हतोत्साहित नहीं कर पायी। ऐसे महान विभूति को माफ़ी वीर कह कर अपमान करना शर्मनाक है. यह विचार सोमवार को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सावरकर गौरव यात्रा के दौरान चारकोप में आयोजित एक जनसभा में व्यक्त किये.
श्री फडणवीस ने वीर सावरकर का जमकर बखान किया और उनके जीवन के बारे में बताया .साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए उन्हें भारत का इतिहास नहीं पता। देशभक्त को और देशद्रोही कौन यह नहीं पता। वह स्वतंत्रता वीर सावरकर को माफी वीर कहते हैं। ऐसे में देश की जनता को रास्ते पर उतरना पड़ता है और कहना पड़ता है कि सच्चे देश भक्त सावरकर हैं तुम सिर्फ राजनीतिज्ञ हो इसके अलावा तुम्हारी कोई पहचान नहीं है। उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राहुल गांधी को वीर सावरकर का इतिहास पता नहीं है। वीर सावरकर का इंदिरा गांधी ने गौरव किया। यशवंत राव चव्हाण ने गौरव किया। जब वीर सावरकर का सम्मान करने के लिए बंगाल के सांसद ने लोकसभा में प्रस्ताव लाया था तब कांग्रेस ने विरोध किया था लेकिन कांग्रेस के एकमात्र सांसद फिरोज गांधी ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया था। फिरोज गांधी, राहुल गांधी के दादा थे। उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राहुल नकली उपनाम लेकर घूम रहे हैं है। उन्हें राहुल गांधी के बयान पर शर्म आती है। फडणवीस ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा कि वह सावरकर नहीं हैं कि माफी मांगें वह गांधी हैं। राहुल गांधी , वीर सावरकर हो भी नहीं सकते। कांग्रेस के किसी नेता में सावरकर होने की औकात नहीं है। सावरकर होने के लिए त्याग लगता है। तप लगता है। यातना भोगनी पड़ती है। सावरकर ने देश की स्वतंत्रता के लिए महान त्याग किया। उन्होंने अपनी जिंदगी के कुल 28 साल जेल में बिताये। वह रत्नागिरी जेल में रहे। वह अंडमान में काले पानी की सजा भुगती । वहां कोल्हू का बैल बनकर उन्हें तेल पेरना पड़ता था और यदि तेल कम निकलता था तो कोड़े से पिटाई की जाती थी। वहां सजा भोगी। उन्हें एक शौचालय से भी छोटी जगह में रहना पड़ता है और तब भी भारत माता की जय बोलने की हिम्मत दिखाते थे।
सावरकर ने अत्यंत अमानवीय यातनाएं भोगी। अंडमान में जब किसी को फांसी दी जाती थी तब सावरकर वह देख सकें ,उस जगह फांसी दी जाती थी। वहां उस तरह का माहौल था कि लोग पागल हो जाएं लेकिन सावरकर ने काले पत्थर से कविताओं को जेल की दीवारों पर लिखा। उसे कंठस्थ किया। जिसे बाद में कविता संग्रह के रूप में छपवाया गया। सावरकर यदि माफी वीर होते तो ऐसे अत्याचार से हतोत्साहित हो गए होते, मर गए होते। आत्महत्या कर लिए होते। पागल हो गए होते। या तो अंग्रेज सरकार की शरण में चले गए होते। फडणवीस ने कहा कि सावरकर ने अत्यंत कम आयु में देश की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन शुरू किया। पहली गुप्त संस्था तैयार करने वाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर थे। छोटे-छोटे युवकों को सावरकर ने एकत्र किया और संस्था तैयार की। स्वतंत्रता की ज्योत जगाने का काम सावरकर ने शुरू किया। इस देश में क्रांतिकारियों को क्रांति की शिक्षा सावरकर ने दी। फडणवीस ने कहा कि किंग जार्ज जब भारत में आये तब उन्होंने सभी राजनीतिक कैदियों को छोड़ने को कहा लेकिन लेकिन सावरकर को नहीं छोड़ा गया क्योंकि अंग्रेजों को पता था यह बहुत खतरनाक है। कोर्ट में सावरकर ने अर्ज किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि लेकिन लेकिन सावरकर को नहीं छोड़ा गया क्योंकि अंग्रेजों को पता था यह बहुत खतरनाक है। कोर्ट में सावरकर ने अर्ज किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मुझे मालूम है कि मुझे नहीं छोड़ोगे लेकिन अन्य कैदियों को छोड़ दो। सावरकर को छोड़ने के लिए महात्मा गांधी ने भी लेख लिखे थे। सावरकर की किताब छापने पर अंग्रेज सरकार ने पाबंदी लगा दी थी तब वह हस्तलिखित वितरित की गयी. और उनके संदेश को भगत सिंह ने छपवाकर बंटवाया । सुभाष चंद्र बोस भी सावरकर से प्रभावित थे। उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने कहा था कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे। वीर सावरकर ने स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष का रवैया अपनाया। लंदन में अंग्रेज अफसर को गोली मारने वाले मदन लाल धींगरा नामक क्रांतिकारी ने भी सावरकर से प्रेरणा पायी थी। देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले वीर सावरकर को अंग्रेजी सरकार ने दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर पलटवार करते हुए कहा कि बाला साहब ठाकरे ने मणि शंकर अय्यर द्वारा वीर सावरकर का अपमान किये जाने पर जो किया वह उद्धव ठाकरे नहीं कर सके बल्कि वास्तविक शिवसेना के सदस्यों के साथ भाजपा ने किया। उन्होंने कहा कि सावरकर के बारे में राहुल गांधी ने स्वयं सफाई नहीं दी कि अब उनके बारे में वह गलत नहीं बोलेंगें,लेकिन उन्होंने सावरकर से जुड़े ट्वीट को डिलीट नहीं किया है। उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि 11 वर्ष तक प्राणांतिक यातना भोगने वाले स्वातंत्रवीर सावरकर से उनकी तुलना नहीं हो सकती जिन्हें मनचाही जेल में रखा जाता था। उनके लिए रसोईयां वहां खाना बनाता था। और उनके लिए पढ़ने के लिए अखबार तक उपलब्ध होता था। जब सावरकर को छोड़ा गया तो जीवन का 28 वर्ष एक तरह से उन्होंने जेल में काटा था । बाहर आने के बाद उन्होंने समाज सुधार का काम किया। सावरकर केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे । वह केवल प्रखर हिंदूवादी नहीं थे वह तत्वनिष्ठ हिंदुत्ववादी थे।