Home विविधा खरी-खरी :सुरेश मिश्र

खरी-खरी :सुरेश मिश्र

by zadmin

मौसम फगुनाया पुनः,ठोक रहा है ताल
गली-गली उड़ने लगे, फिर से रंग गुलाल
फिर से रंग गुलाल,हाथ में ले पिचकारी
बुढ़वा हुए जवान,मगन सारे नर-नारी
कह सुरेश कविराय मदन धनु तीर चढ़ाया
मनवा बनल मयूर,पुनः मौसम फगुनाया

सुरेश मिश्र

You may also like

Leave a Comment