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खरी-खरी..अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

●खरी-खरी
देश एक कानून भी, होना चाहिए एक।

जाति धर्म चाहे अलग, मातृभूमि है एक।।

मातृभूमि है एक, लड़ाई फिर यह कैसी।

मानवता की सूरत तो, होती एक जैसी।।

भेदभाव को देखकर , होती मन को क्लेश।

एक धरा आकाश एक, एक हमारा देश।।
●अशोक वशिष्ठ 

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