क्या विदेशी है हरी मिर्च
हरी मिर्च विदेशी पौधा है, जिसने 700 साल पूर्व ही भारत में प्रवेश किया है. फिर सवाल यह है कि पुराने समय में भारतीय भोजन में तीखापन कहां से आता था. बड़ी बात यह भी है कि प्राचीन भारत में रसों (स्वाद) को लेकर बहुत ही विस्तार से वर्णन किया गया है.
हरी मिर्च का इतिहास बहुत ही पुराना है. ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी (अमेरिका) स्थित वनस्पति विज्ञान व प्लांट पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर सुषमा नैथानी ने अपने रिसर्च में फसलों के उत्पत्ति केंद्रों (भूमिक्षेत्र) की विस्तार से जानकारी दी है.
प्रोफेसर सुषमा नैथानी का कहना है कि हरी मिर्च की उत्पत्ति भूभाग केंद्र मेक्सिको व मिजो है और वहां यह 5 हजार ईसा पूर्व से उगाई जा रही है. मेक्सिकन लोग अपने भोजन व मसालों में इसका प्रयोग करते थे. कहते हैं कि मिर्च का परिचय बाकी दुनिया से तब हुआ जब समुद्री नाविक व खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस (जीवन-काल वर्ष 1451-1506) समुद्री मार्ग से भारत की खोज करते हुए अमेरिका पहुंच गया. वहां से यह हरी मिर्च बाकी यूरोपीय देशों में पहुंची और भोजन के लिए जरूरी मसाला बन गई.
पेंच यह है कि हरी मिर्च के मेक्सिको से अमेरिका पहुंचने के बीच हजारों साल में मिर्च का क्या हुआ? क्या वह इतने सालों में मेक्सिको में ही रही. दूसरी बात यह है कि कोलंबस समुद्री नाविक व खोजकर्ता था, व्यापारी नहीं. तीसरी बात यह भी है कि कोलंबस के बारे में अभी तक पुख्ता जानकारी नहीं है कि वह स्पेन, पुर्तगाल, इटली में से किस देश का निवासी था, इसलिए उसके साथ हरी मिर्च का संबंध सवाल खड़े करता है?
अब बात करते हैं हरी मिर्च के भारत में पहुंचने और यहां के भोजन में जरूरी अवयव बनने की. रिपोर्ट कहती हैं कि पुर्तगाली सौदागर वास्को डी गामा (जीवन-काल वर्ष 1460-1524) भारत में जब काली मिर्च लेने आया था, तब वह हरी मिर्च लेकर दक्षिण भारत के तट पर पहुंचा था. इसके बाद भारत में हरी मिर्च का सफर शानदार रहा है. आज भारत हरी मिर्च (लाल मिर्च) को अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन, सऊदी अरब, जर्मनी व अन्य देशों को बेचता है. दुनिया में मिर्च का जितना भी उत्पादन होता है, उसमें 25 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है.