सच्चा फौजी !!! सच्चे हिंदूस्तानी !!!
बात उस समय की है जब डॉ.अब्दुल कलाम, भारत के प्रिय राष्ट्रपति, कुन्नूर के दौरे पर थे। वहां उन्हें पता चला कि देश के नायक, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, सैन्य अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। बिना देर किए, कलाम जी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने सैम के स्वास्थ्य का हाल जाना और बड़े स्नेह से पूछा,”क्या आपको यहां कोई तकलीफ है? क्या मैं कुछ ऐसा कर सकता हूं जिससे आपको सहज महसूस हो? कोई शिकायत तो नहीं?” सैम ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा,”हां, सर, मुझे एक शिकायत है” कलाम जी चिंतित हो उठे। उन्होंने तुरंत पूछा, “क्या शिकायत है, सैम?”
सैम की आंखों में देशप्रेम की चमक थी। उन्होंने कहा,”सर, मेरी शिकायत यह है कि मेरे प्यारे देश के सबसे सम्मानित राष्ट्रपति मेरे सामने खड़े हैं, और मैं उन्हें सलामी नहीं दे पा रहा।” यह सुनते ही कमरे में सन्नाटा छा गया। कलाम जी ने सैम का हाथ थाम लिया। उस पल दोनों की आंखों में आंसू थे—एक देशभक्त का दूसरे देशभक्त के लिए सम्मान, प्रेम और गर्व। जाते-जाते सैम ने एक बात बताई।उन्हें फील्ड मार्शल की बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान नहीं मिला था। 2007 में सरकार ने निर्णय लिया था कि फील्ड मार्शल, जो कभी सेवानिवृत्त नहीं होते, उन्हें सेवा प्रमुखों के बराबर पूर्ण पेंशन मिलेगी। लेकिन यह राशि सैम तक नहीं पहुंची थी। कलाम जी ने इसे दिल से लिया। दिल्ली लौटते ही उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। मात्र एक सप्ताह में सैम की बकाया पेंशन, लगभग 1.30 करोड़ रुपये, का चेक तैयार करवाया गया। रक्षा सचिव विशेष विमान से यह चेक लेकर वेलिंग्टन, ऊटी पहुंचे।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। सैम मानेकशॉ, जिन्हें “सैम बहादुर” के नाम से जाना जाता है,ने उस चेक को देखते ही एक ऐसा कदम उठाया जो उनके महान चरित्र को दर्शाता है। उन्होंने पूरी राशि:1.30 करोड़ रुपये:सेना राहत कोष में दान कर दी।यह था सैम का देशप्रेम: निस्वार्थ, अटूट और प्रेरणादायक। किसे सलाम करें?
अगर आपको गर्व महसूस हुआ तो आप जय हिन्द अवश्य लिखें। डॉ.कलाम, जिन्होंने एक सैनिक की तकलीफ को अपना दायित्व समझा, और सैम मानेकशॉ, जिन्होंने अपने लिए कुछ न रखकर देश की सेवा को चुना :दोनों ही हमारे सच्चे नायक हैं। एक ने दूसरे के सम्मान की रक्षा की, तो दूसरे ने अपने बलिदान से देश को गौरवान्वित किया।आज जब हम इस कहानी को याद करते हैं, तो मन में एक ही सवाल उठता है—ऐसे नायकों को हम कैसे भूल सकते हैं? उनकी यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा सम्मान, सच्ची देशभक्ति और सच्ची मानवता कभी खत्म नहीं होती।
🙏 आइए, इन दोनों महानायकों को सलाम करें! ।।जय हिंद।।