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बहुत दिनों के बाद अब,बेल मिली श्रीमान
बाहर आए जेल से, अपने आजम खान
अपने आजम खान, न आया कोई साथी
जिनके बाबू आप, रहे हरदम बाराती
कह सुरेश कविराय तब बग्घी दे ली दाद
सइकिल नहीं नसीब है बहुत दिनों के बाद
सुरेश मिश्र