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दुनिया में सबसे बड़ा,माता का स्थान
जन्मभूमि भी सदा ही,होवे मातु समान
होवे मातु समान,उन्हें हम शीश झुकाएं
इत्ती छोटी बात,म्लेच्छगण समझ न पाएं
कह सुरेश इनको आनंद सदा मुनियां में
अबू आजमी तुम रहते हो किस दुनिया में
सुरेश मिश्र