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चरखी चाले चीखिके,पनुवा पिया पियाइ
सुबह सलोनी बनत बा,हे ननदी के भाइ
हे ननदी के भाइ,खुदात अहइ खुब आलू
हरी-हरी धनिया पाती से बनइ कचालू
कह सुरेश कविराय बूंद अंखियन से ढरकी
धनि पेरात बा तोहरी जस गन्ना अरु चरखी
सुरेश मिश्र