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खरी-खरी
वोट पड़ेंगे हिमालय, में फिर अबकी बार।
बीजेपी अरु काँग्रेस, हैं फिर दावेदार ।।
हैं फिर दावेदार, कमल क्या पुनः खिलेगा।
या फिर काँग्रेस को,अबके ताज मिलेगा।।
उधर ‘आप’ भी कर रही, जमकर अपनी चोट।
जीत नहीं पाये भले , पर काटेगी वोट।।
अशोक वशिष्ठ