205
खरी-खरी
खड़गे बाबा बन गये, काँग्रेस सरताज।
माता के आशीष से, आया सिर पर ताज।।
आया सिर पर ताज, डूबती डगमग नैया।
ऐसे में खड़गे जी, इसके बने खेवैया।।
या तो उतरे पार यह, या डूबे मझधार।
खड़गे पर हावी, रहेगा गाँधी परिवार।।
अशोक वशिष्ठ