कोरोना काल में जमकर हुआ भ्रष्टाचार – विपक्ष
कोरोना कुप्रबंधन से गयी 30000 लोगों की जान
विशेष संवाददाता

मुंबई,3 मार्च; महाराष्ट्र विधान सभा में बजट सत्र के दूसरे दिन राज्यपाल के भाषण पर अभिनंदन प्रस्ताव पर बोलते हुए विधान सभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ जमकर प्रहार किया। फडणवीस ने कहा कि कोरोना काल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ यह बताने पर सरकार द्वारा कहा जा रहा है कि कोरोना योद्धा का अपमान है लेकिन मैं यह कहता हूँ यह राज्य सरकार की विफलता है। फडणवीस ने आंकड़े बताते हुए विधानसभा में कहा कि ‘ मेरा परिवार, मेरी जिम्मेदारी से मैं जिम्मेदार ‘ यह नारा स्वास्थ्य व्यवस्था का उपहास है। केवल शब्दों से लोक कल्याण नहीं होता। निरंतर कम संख्या में जाँच किये जाने से महाराष्ट्र में कोरोना बढ़ा। आज भी राज्य में गंभीर परिस्थिति है। देश में कोरोना मृतकों में से 30 फीसदी से अधिक महाराष्ट्र से हैं जबकि देश में कुल कोरोना मरीजों की तादाद का 46 फीसदी कोरोना मरीज़ महाराष्ट्र में है। यदि यहाँ राज्य सरकार तत्परता से व्यवस्था करती तो बड़ी संख्या में कोरोना से होनेवाली मौतें रोकी जा सकती थी उन मौतों के लिए कौन ज़िम्मेदार है।अमरावती में कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट देनेवाला गिरोह सक्रिय है वहां एक जिला परिषद सदस्य को फ़ोन आया कि आपको कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट चाहिये या कि कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट चाहिये। पहले लॉक डाउन किया गया क्योंकि तैयारियां नहीं थी लेकिन अब कोई भी मंत्री कहता है तो लॉक डाउन हो जाता है, केवल लॉक डाउन के लिए तैयार बैठे हैं। नवी मुंबई में लॉक डाउन में जबर्दस्त भ्रष्टाचार बढ़ा है। 7800 पॉजिटिव बिना जाँच के ही बताये गये। जितना सामानों का भाड़ा दिया गया उससे कहीं बहुत कम कीमत में वह वस्तुएँ खरीदी जा सकती थीं. फडणवीस ने बताया कि किसी को लाभ पहुँचाने के इरादे से अनेक लोगों को कोविड सेंटर खोलने की सहूलियत दी गयी। जो वस्तु 1200 रूपये की थी उसके लिए 6000 से अधिक रकम भुगतान किया गया। कोविड के नाम परखूब मनमानी हुई है. बेड सीट हो या कुर्सी या पंखा इस तरह के सामानों के भाड़े के रूप में मोटी रकम खर्च किया गया है। देश का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ज़ाहिर हुआ है कि महाराष्ट्र विकास आघाडी ने कोरोना मामले को अच्छी तरह हैंडल किया होता तो महाराष्ट्र में 9 लाख 55 हजार मरीज कम होते । राज्य में इससे जो मौतें हुई हैं उनमें 30 हज़ार 900 लोगों को मरने से बचा सकते थे। फडणवीस ने सदन में आगे कहा कि बिना निविदा मंगाये ही बड़े पैमाने पर कार्य किया गया। कहने का मतलब डॉक्टर की जगह कम्पाउंडर कार्य कर रहा है।